सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नूपुर शर्मा को बड़ी राहत देते हुए उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनकी गिरफ्तारी की मांग की गई थी। याचिका में अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ उनके बयान से मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करने के लिए कार्रवाई करें और उन्हें गिरफ्तार करें।
भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता एडवोकेट अबू सोहेल से कहा कि उनकी याचिका बहुत ही सरल अहानिकर है, लेकिन असल में इसके दूरगामी परिणाम होते हैं। हमारा सुझाव है कि याचिका वापस ले ली जाए। इसके बाद सोहेल ने अपनी याचिका वापस ले ली।
याचिकाकर्ता एडवोकेट अबू सोहेल ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया कि शिकायत के बावजूद पुलिस की ओर से नूपुर शर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
याचिका में कहा गया है कि नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की, इसलिए घटना की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच के लिए निर्देश देने की मांग की, जिससे उसकी तत्काल गिरफ्तारी सुनिश्चित हो सके।
याचिका में शर्मा के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा गया है कि उनके बयान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 26 और 29 और अन्य मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं। वकील ने कहा, “शर्मा के अवांछनीय शब्दों ने देश और दुनिया भर में भारी अशांति और हंगामा खड़ा कर दिया है और हमारे महान राष्ट्र की छवि खराब कर दी है।”
बता दें कि नूपुर शर्मा के खिलाफ कई राज्यों में केस दर्ज किए गए थे। इन सभी मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है।